औरत का जीवन एक कसौटी
औरत का जीवन-एक कसौटी
***********************
सच में औरत का जीवन एक कसौटी ही तो है।जिसको जन्म से लेकर मरण तक हर बार अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है।
ये कहानी प्रारंभ करने से पहले ये बताना चाहती हूँ कि ये ऐसी लड़की की कहानी जिसने अपनी जिंदगी की कसौटी पूरा करते हुए ही बताई।और वो आज भी हर दिन एक कसौटी से जूझ रही है।
दोस्तों मेरी सभी कहानी सच्चाई को उजागर करती है। मेरी कोशिश हैं कि उसमें किसी तरह का मिर्च मसाला ना हो।
मेरी कहानी पढ़ कर सभी को सकारात्मकता मिले।
ये कहानी अंजलि सचदेवा की हैं। मैं उसके बचपन से प्रांरभ करतीं हूँ।
अंजलि की एक बड़ी बहन योगिता छोटा भाई अजय है।अंजलि तीनों बहन भाई में से सबसे सुन्दर है।उसका सिंदूरी रंग,काले घुंघराले लंबे बाल हैं।दूर से दिखने में कश्मीरी सेब लगती।
एक बार जो उसको देखे उस पर से नजर नहीं हटे।
उसकी माँ एक साधारण ग्रहणी हैं।
पापा एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं। साथ में बुजुर्ग दादी हैं।सही मायने अंजलि की दादी अपने ज़माने में बहुत खुबसूरत महिला रही होगी।क्यूंकि वो इस उम्र में भी बहुत खुबसूरत हैं।और अंजलि अपनी दादी को ही गई। कहते है ना सेम टू सेम दादी की कॉपी।😁😁
ये सभी लोग दिल्ली के शास्त्री नगर इलाके रहते हैं।
माँ और दादी अपनी सूझ-बुझ से घर को चलती हैं।लेकिन पापा एक दम मस्त आदमी हैं।नौकरी करते और बाहर जाकर दोस्तों के साथ मौज मस्ती।
यही उनके जीवन की दिनचर्या है।अगर कभी माँ पापा से कहती तो बस क्लेश शुरू हो जाता।और पापा घर से बाहर चले जाते।और फिर देर रात तक वापिस आते।वो बेचारी घबरा जाती।अंजलि के पापा को दारू सिगरेट का भी खूब शौक है।
ये तीनों बहन भाई सहमे- सहमे ही सो जाते।
धीरे धीरे ये तीनों बड़े होने लगे।दोनों बहनों का प्राइवेट स्कूल में एडमिशन हो गया। भाई अभी छोटा ही था।अंजलि की बड़ी बहन उससे दो साल बड़ी हैं।भाई 5 साल छोटा है।
दोनों बहने पढ़ाई में अव्वल नंबर लाती।इस पर माँ और दादी को सुकून मिलता।लेकिन पापा को तो जैसे कोई मतलब ही नहीं।क्यूंकि उसके पापा सिर्फ भाई को ही प्यार करते दोनों बेटियों से तो कभी
कभी बात करते।
दोनों ही अपने पापा के प्यार को तरसती रहती।
समय बीतता गया।दोनों बहनों ने पाँचवी पास कर ली।बड़ी बहन योगिता को पापा ने सरकारी स्कूल में डाल दिया।वो सातवीं में आ गई थी।
लेकिन अंजलि का एडमिशन नहीं पाया।वो बेचारी घर में ही थी।
एक दिन तो हद ही हो गई। अंजलि के माँ पापा की बहुत लड़ाई हुई।उसके पापा समान पैक करने लगे।उसकी माँ ने दादी को आवाज दी।
मांजी जल्दी आओ यह देखो क्या करने जा रहे हैं? अपना सामान पैक कर रहे हैं?
तभी दादी भागकर आती हैं क्या हो गया क्यों शोर मचा रही है? तुम लोग क्यों लड़ रहे हो रात के समय,बच्चे सो रहे हैं, थोड़ा तो ख्याल किया करो।
देखो मांजी यह घर छोड़कर जा रहे हैं ।
यह क्या कर रहा है बेटा?थोडा तो बुद्धि इस्तेमाल किया कर ।तीन बच्चों का बाप बन चुका है अभी भी तुझे अकल नहीं आई।
माँ इस औरत ने मेरी जिंदगी खराब कर दी है।
मैं इसके साथ नहीं रह सकता मैं घर छोड़कर जा रहा हूँ। यह क्या कह रहा है बेटा?
बेटा बच्चों का सोच,मुझ बुड्ढी मां का क्या होगा? बेटा तेरी बीवी है कोई दुश्मन नहीं है।
तू क्यों ये हरकतें करता है ?अब तो समझ जा ।इन सब बातों में क्या रखा है? क्यों इस घर को बर्बाद कर रहा है?
क्या तुम भी मेरा पक्ष नहीं ले रही तुम भी इसी का ही पक्ष लेती हो।
अरे रुक तो सही बेटा सुन तो सही क्या कर रहा है?
आह!आह! मर गई बेटा यह क्या कर रहा है??
मांजी आपके कहीं चोट तो नहीं लगी? जा उसको रोक? लेकिन वह कहां रुकने वाला था अपना बैग उठाकर निकल गया।
बेचारे !तीनों बच्चे डरे ,सहमे हुए पिता को को जाते हुए देख रहे थे।
पिता के जाते ही तीनों बच्चे उठ गए माँ से लिपट कर रोने लगे। माँ पापा कहां चले गए? मां अब क्या होगा? ऐसा लग रहा था छोटे -छोटे बच्चे अभी से बहुत बड़े हो गए हैं।
तीनों बहन भाई ने स्कूल छोड़ दिया था। तीनों अब घर में ही पढ़ते थे। अंजलि के माँ के लिए घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा था।
अंजलि के पापा को गए पंद्रह दिन हो गए उनका कोई पता नहीं था।
मुहल्ले में लोग तरह -तरह की बातें बना रहे थे। कोई कह रहा था? उनका बाप भाग गया? बीवी ने परेशान कर दिया? लड़कीबाज है साला, दूसरी औरत कर रखी है और ना जाने क्या-क्या बातें सुनकर चुप रहना पड रहा था।
एक दिन अंजलि की माँ बड़ी बहन को दादी के पास छोड़ कर अंजलि और अजय को साथ लिए नाना -नानी के घर पहुंची।
दरवाजे की बेल बजायी ~~~~~~~~~आरे कौन हैं?? ?
दरवाज़े खुलता है अरे स्वीटी तू??? सुखविंदर कहां पर है अकेली आई है बच्चों के साथ?
स्वीटी -नमस्ते माँ ॰॰॰॰ आजा बेटा।अंदर आजा अरे मेरे सोने पुतर आए हैं। अंजलि और अजय भी अंदर आ गए।
और फिर नानी का प्यार दुलार शुरू हो गया
नानी ने स्वादिष्ट अच्छा-अच्छा खाना बनाया?
अंजलि की दोनों मौसियों ने दोनों बच्चों को अपनी गोद में बिठाकर बड़े प्यार से खाना खिलाया।
सच में आज बच्चों ने बहुत दिनों के बाद अच्छा
खाना खाया था।
ऐसे ही खाते पीते 5:00 बज गए
इसी बीच अंजलि के नाना जी आ जाते हैं जो कि किसी एक प्रिंसिपल की पोस्ट पर पर काम करते हैं।
वह भी बहुत खुश हो जाते हैं और प्यार से सब को गले लगाते हैं।
दोनों बच्चे अपनी मासियों के साथ खेलने दूसरे कमरे में चले जाते हैं।
अब स्वीटी की मम्मी कहती हैं क्या हुआ पुत्तर तेरा फोन भी नहीं लगता?
माँ फोन का बिल नहीं जमा किया था इसलिए फोन वाले फोन काट कर चले गए।
क्या हुआ बेटा बहुत परेशान लग रही है बच्चे थे तो मैंने कुछ कहा नहीं लेकिन बताना क्या हो गया बेटा?
अंजली की माँ स्वीटी अपने माता-पिता को सारी
बात बताती है
दोनों ही यह सब सुनकर बहुत परेशान हो जाते हैं।
बेटा तूने पुलिस में शिकायत की??
अरे पापा क्या बात करते हैं ???वैसे ही जग हंसाई हो रही है?
चल पुत्तर तू परेशान मत हो मैं कुछ करता हूं?
बस पापा आपका ही सहारा है वह तो हमें बीच मंझधार में छोड़ कर चले गए?
चल पुत्तर रोना बंद कर ?और मजबूत बन?
पापा मैं यह सोच रही हूं कि अपने वाला घर किराए पर उठा दूं ।हम सब लोग आपके यहां रहने आ जाए??
नानी-यह क्या कह रही है बेटा? तेरी दो जवान बहने सर पर बैठी हैं ।कल को उनकी शादी भी करनी है सबको पता चल गया कि बड़ी बहन बच्चों के साथ यही है तो इन दोनों की शादी भी नहीं होगी? थोड़ा अपनी बहनों के बारे में भी सोच?
अंजली की मम्मी बिल्कुल शांत हो गई ?
नाना-देख बेटा लड़कियां अपने घर से ही अच्छी लगती है?मायके में रहने पर उनकी कोई इज्जत करता?
अगले दिन उसके नाना उसकी मम्मी और दोनों बच्चों को घर पर छोड़ गए। उसके नाना ने दो-तीन महीने का राशन घर में भरवा दिया जिससे कि बच्चों को दिक्कत ना हो। और फोन का बिल भी जमा कर दिया करवा दिया। और कुछ पैसे अंजलि की मां के हाथ में पकड़ा कर चले गए।
लेकिन अब स्वीटी को एहसास हो गया था।उसके माता-पिता भी उसकी अधिक सहायता नहीं कर पाएंगे। उसे खुद ही अपने हालातों से लड़ना होगा और अपने बच्चों को पालना होगा। स्वीटी एक मजबूत औरत थी। लेकिन अपने पति के दुख से वह आधी हो गई थी।उस दुख ने उसको तोड़ दिया था। उसने कुछ दिन पहले ही अपने पति को किसी औरत के साथ देखा था।
वह चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाई।
उसे यह शक पहले से ही था कि उसके पति का किसी औरत से संबंध है? तो आज हकीकत में बदल गया।
स्वीटी ने घर आकर सब कुछ अपनी सास को बताया।
वह बेचारी भी बहुत परेशान हुई। उन्हें भी इस उम्र में इस तरह का दुख झेलना था।
ऐसा नहीं था कि स्वीटी के माता-पिता उसकी कोई खबर नहीं लेते थे ।वह भी उसकी मदद करते
रहते। उस मदद से कुछ खास नहीं हो रहा था।
घर में 5 सदस्य थे। स्वीटी के पास इतना पैसा नहीं था कि वह बच्चों का स्कूल में दाखिला कराएं।
अभी तो घर चलाना ही मुश्किल हो रहा था।
लेकिन अंजलि और योगिता पढ़ाई में बहुत होशियार थी। वह बच्चों की पुरानी किताबें लेकर पढ़ाई करने लगी। पांचों लोगो ने मिल कर घर में छोटे- छोटे काम शुरू कर दिए जैसे लिफाफा बनाना और पैकिंग वाले।
ट्रेन ट्रेन ट्रेन (फोन की घंटी )
हेलो-हेलो दीदी रानू बोल रही हूं कैसी हो आप
हां मैं ठीक हूँ। तीनों बच्चे ठीक है?
ठीक है जीजा जी का कुछ पता चला?
पता चल भी जाए तो क्या कर सकते हैं जो इंसान चला गया तो उसके बारे में क्या कह सकते हैं?
कोई बात नहीं दीदी आप परेशान मत हो।
अच्छा सुनो मैंने ना बच्चों के लिए अपने स्कूल में बात की है ।बच्चे घर से पढ़ाई करते रहेंगे बुक्स अरेंज करा दूंगी। और इन दोनों को हाफ इयरली और फाइनली के एग्जाम देने स्कूल आना पड़ेगा थोड़े बहुत पैसे लगेंगे मैं कर दूंगी।
थैंक्यू रानू तू बच्चों के लिए कितना कुछ सोच रही है। क्या दीदी बच्चे मेरे कुछ नहीं लगते मैं भी बच्चों की मासी हूं। अच्छा सुनो बच्चों से कहना मुझे फोन कर लेंगे ठीक है चलो मैं रखती हूं बाय!
अंजलि के पापा को गए एक साल हो गया।
आज तो ऐसा हुआ? जिसे देख हम सब अचंभित हो गए ?दरवाज़े पर हमारे पापा खड़े थे?दरवाज़ा दादी ने खोला। दादी पापा को देख खुश हो गई और उनको गले लगा लिया। पापा हम सभी से माफ़ी मांगने लगे थे।दादी मम्मी को समझने लगी इसको माफ़ दो। हम सब इसके अपने हैं अगर हम इसको नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा??
अखिरकार पापा की एंट्री घर मे हो गई।
मम्मी को भी सबकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा।
पापा ने घर के पास ही किताब और कॉपी की
दुकान खोल ली । पापा एक दो महीने तो सही रहे और दुकान पर अच्छी तरह बैठे लेकिन फिर वह पहले की तरह हरकतें करने लगे।
फिर जाकर वह राजनीति में घुस गए।जब देखो वह घर से बाहर ही होते। दुकान पर हम सब लोग बैठने लगे। ऐसे ही समय बीतने लगा। अंजलि और योगिता ने घर से ही पढ़ाई की। अंजलि ने दसवीं के और योगिता ने 12वीं के पेपर दिए। दोनों ही लड़कियां पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। दोनों ही अच्छे के पास हो गई। योगिता ने एक शोरूम में सेल गर्ल की नौकरी कर ली। उसी दौरान अंजलि बहुत बीमार रहने लगी। डॉक्टर को बहुत दिखाया पर कुछ पता ही नहीं चल रहा था।
वह एकदम चुप हो गई थी किसी से बात नहीं करती और डरी सहमी सी रहने लगी।
आज से 20 -25 साल पहले की बात करूं तो डिप्रेशन के बारे में कोई जानता ही नहीं था।
उसी का शिकार अंजली हो गई थी। बीमारी की हालत में ही 11वीं और 12वीं की परीक्षाएं दी।
दवाइयों की वजह से अंजलि का वजन बहुत बढ़ गया था। लेकिन वह इतनी सुंदर थी। कि कोई भी उसे देख ले तो उसका दीवाना हो जाए।
लेकिन वह बेचारी! तो घर में ही कैद रहती थी।
लेकिन घर में अब बहुत दिनों बाद एक खुशी की बात आई। पापा ने योगिता के लिए एक लड़का देखा था। लेकिन अंजलि को सामने आने के लिए मना कर दिया था। क्योंकि सब को डर था कि अंजलि इतनी सुंदर है कहीं योगिता की जगह अंजलि को ही ना लड़का पसंद कर ले।
आखिरकार जब तक सारी बातें नहीं हो गई अंजलि को छुपा कर ही रखा।
बेचारी अंजलि बड़ी बहन की खुश हो रही है लेकिन वहां भी उसे अंदर ही रहना पड़ता है।योगिता के लिए अच्छा परिवार और अच्छी पोस्ट पर लड़का मिल गया था अब सवाल आया पैसे का ??
कि पैसे कहाँ से आए?
फिर एक और पहाड़ हम सब पर टूट गया।
योगिता की शादी के लिए घर बेच दिया और हम सब लोग किराए के घर में आ गए।
योगिता की शादी हो गई वह अपने घर चली गई
अब बारी आई अंजलि की। अंजलि ने भी ओपन से कॉलेज किया और एक स्कूल में जॉब लग गई।
सारा घर अंजलि की कमाई पर चल रहा था।
अंजलि की सभी सहेलियों की शादी हो गई।
लेकिन उसके माता-पिता को तो उसकी शादी ही नहीं करनी वह यही सोचती रहती।
समय बिताता गया। इस बार उसका 28वाॅ जन्मदिन था। अंजलि के जीवन में कोई खुशी नहीं। अखिरकार पापा ने उसके एक लड़का ढूँढ लिया। लड़के का नाम आशीष था।
झंडेवाले मंदिर में दोनों परिवार वालों बात कर
रिश्ता पक्का कर दिया ।
अंजलि अब खुश रहने लगी थीं।
आशीष कभी-कभी अंजलि से बात कर लेता ।
लेकिन एक बहुत बड़ी बात सामने आयी? उससे सब बहुत परेशान हो गए?
अंजलि के पापा को किसी ने बताया ये परिवार अच्छा नहीं उधर आप लड़की की शादी मत करो। यहाँ शादी करने से अच्छा लड़की को जहर दे दो।
लेकिन शादी के कार्ड बाँट चुके थे। पापा ने कहा मेरी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी। अब कुछ नहीं हो सकता दादी और माँ ने बहुत समझाया पर पापा ने किसी की नहीं सुनी।
अखिरकार अंजलि की शादी आशीष से हो गई।
शुरूआत में सब ठीक रहा। धीरे-धीरे पता चला लड़का कुछ करता ही नहीं। अंजलि अपनी नौकरी पर जाने लगी। एक दिन पता चला कि वह प्रतिदिन शराब और सिगरेट पिता है। अंजलि अपने माँ पापा को बोलती पर वो कहते हम बात करेगे।
अंजलि सहमी- सहमी रहने लगी। आशीष कभी उससे अच्छे से बात ही नहीं करता। अंजलि अपनी कोई बात करती तो उसको डांट कर चुप कर देता। वो बेचारी सारे दिन स्कूल में पिसती फिर घर आकार सारा काम करती फिर थक कर सो जाती।
यही प्रतिदिन की दिनचर्या थीं। अंजलि को एक दिन भी शादी का सुख नहीं मिला।आशीष डेली शराब पी कर सो जाता।
अंजलि अपनी किस्मत को कोसती उधर बाप के प्यार को तरसती रही। 29 साल में शादी हुई सोचा था पति के साथ प्यार से रहेगी। पर किस्मत में कांटे लिखे थे।उधर पापा सारी सैलरी लेेते थे। इधर पति ने अपनी कमाई से एक रुमाल तक खरीद कर नहीं दिया। सब कुछ अपने पैसे से खरीदारी करती।
धीरे-धीरे लड़ाई होने लगी।
एक दिन तो हद ही हो गई उसने अंजलि को बहुत मारा। उसने अपने पापा को फोन कर दिया फिर रात को ही उसके पापा पुलिस में शिकायत कर दी।
रात को ही अंजलि को घर वापिस ले आए।
पुलिस को आशीष के पापा ने पैसे देकर केस रफा-दफा करवा दिया।
आशीष के परिवार में एक शादी आ गई।घर पर बहू नहीं ?अब ये बात कैसे बताये।
अखिरकार आशीष के माँ पापा ने माफ़ी मांग कर अंजलि को घर वापिस ले आए। घर आकर आशीष ने भी माफ़ी मांग ली। सब लोग खुशी-खुशी शादी में गए ।कुछ दिन तक घर का माहौल अच्छा रहा फिर वही नाटक अखिरकार अंजलि ने बोल दिया मुझे अलग रहना है।
अंजलि और आशीष ने किराये पर फ्लैट ले लिया।
अंजलि को उधर सुकून था। लेकिन घर के किराये से लेकर हर घर खर्च की जिम्मेदारी अंजलि पर आ गई थीं।
फिर भी आशिष चैन जीने नहीं दिया।
सारा दिन घर में मजे से खाता-पीता।अंजलि आती तो राजा बाबु की तरह अपनी फरमाइशें रेख देता।वह उसको हमेशा खुश करने में लगी रही।
एक दिन तो हद ही हो गई। इतवार का दिन था।
अंजलि काम खत्म कर सो गयी थी और आशीष अपनी माँ के पास गया था। 6 बजे का समय था दरवाज़े खटपट करने लगा। अंजलि गहरी नींद में थीं। 5 मिनट बाद दरवाज़े उसने खोला। फिर क्या
उसने हंगामा शुरू कर दिया।
अंजलि को भी गुस्सा आ गया कब तक बर्दास्त करे। आशीष ने उसका सिर दीवार में मारा। खुन देख कर दरवाज़े खोल कर भाग गया। अंजलि ने भी पुलिस में शिकायत कर दी। पुलिस ने आशीष को जेल में डाल दिया।
उसने अब सोच लिया कि अब वह बर्दास्त नहीं करेगी। लेकिन उसके इस फ़ैसले से सभी नाराज हो गए। माँ- पापा ने भी हाथ जोड़ लिए। अंजलि के स्कूल वालों ने उसका साथ दिया। उसने उधर ही घर किराये पर ले लिया। तलाक का केस डाल दिया। अंजलि के ससुरालवालों ने भी खूब तंग किया। लेकिन अंजलि अपने फैसले पर अडिग रही। और अकेले ही इस लड़ाई को लडने चल पडी।
लेकिन दोस्तों अंजलि का केस अभी भी चल रहा उसका नालायक पति उसको तलाक नहीं दे रहा।
सच आज भी औरत की दशा दयनीय है। हमारे देश का कानून सच में अंधा है।
एक औरत को अपनी जिंदगी आजादी से रहने का भी हक नही है।
ना जाने कब ऐसा दिन आएगा कि औरत को समान अधिकार मिलेगे।
मेरी सरकार से दरख्वास्त हैं वो अंजलि को जल्द से जल्द तलाक दिलाए
🙏🙏🙏🙏🙏 🙏🙏🙏 🙏🙏🙏
एकता सिंह चौहान
नई दिल्ली
Renu
26-Dec-2022 09:15 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति दी है आपने,,,, वर्तमान समय में सभी माता पिता को अपनी बेटी को सक्षम बना कर ही शादी का निर्णय करना चाहिए,,, क्योंकि अगर अंजली अपने पैरो पर खड़ी ना होती तो अपनी मां की तरह ही अपना जीवन गुजार देती।
Reply
राजीव भारती
23-Dec-2022 08:54 PM
जी बहुत ही खूबसूरत रचना अप्रतिम।
Reply
shweta soni
22-Dec-2022 06:29 PM
बेहतरीन रचना 👌
Reply